किसानों की भी सुने पुकार योगी सरकार, कई बीघे खड़ी फसल पे चलाया ट्रेक्टर

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रिपोर्ट: नीरज द्विवेदी
समाचार पत्रिका, उन्नाव
कोरोना कॉल में लॉकडाउन के चलते हर व्यक्ति को तकलीफों का सामना करना पड़ा है। जिसमे किसानों को सर्वाधिक नुकसान उठाना पड़ा है सब्जियों की फसल उगाने वाले किसान जैसे बंद गोभी, फूल गोभी की खेती करने वाले किसानों को उम्मीद थी कि इस सीजन में पिछले साल के नुकसान की भरपाई होगी। लेकिन इस बार भी लॉकडाउन के चलते मंडियों तक माल नहीं पहुंचा तो किसानों ने खेत में ही फसल जोत दिया और बड़ी संख्या में फसल खेतों में ही खड़ी सूख रही है। इसे देश का दुर्भाग्य नही तो और क्या कहेंगे कि अन्नदाता ही जब भूँखा रहेगा तो बाकी का पेट कौन भरेगा यह अपने आप में एक बड़ा सवाल जरूर है।
उन्नाव के सफीपुर व सरोसी क्षेत्र के दर्जनों गावों के किसान गर्मी के सीजन में बंद गोभी व फूल गोभी की खेती करते चले आ रहे हैं। पिछले साल भी लॉकडाउन के चलते फसल बर्बाद हो गयी थी और किसानों को नुकसान का सामना करना पड़ा था।किसानों को उम्मीद थी कि इस बार फसल का अच्छा मूल्य मिलेगा और नुकसान की भरपाई हो जायेगी उम्मीद के विपरीत इस साल भी लॉकडाउन लगाया गया जिससे लखनऊ, कानपुर, दिल्ली, गोरखपुर, फैजाबाद, बनारस, मैनपुरी सहित कई मंडियों में यहां के किसान अपनी फसल बेचने के लिए जाते हैं। बंदी के चलते व्यापारियों ने दूरी बना ली जिसका नतीजा यह हुआ कि कुछ किसान मंडी में फसल लेकर पहुंचे जहां खरीद दर नही मिली तो भाडा भी जेब से भरना पडा किसानों ने फसल को खेत में ही छोड़ दिया जिससे फसल सूख गयी कुछ किसानों द्वारा फसल को जोत दिया गया।
किसानों में जितेंद्र सिंह, संतोष, लाखन, बउवा, ओमप्रकाश, खैराती, सुरेश, विजय पाल, अमित द्विवेदी ने बताया कि फसल की बिक्री नहीं है जिससे लागत नहीं निकल रही है इसलिए खेत में ही फसल को छोड़ दिया जिससे वह सूख रही है और फसल को जोत कर अन्य फसल बोई जायेगी। एक बीघा भूमि पर बंद गोभी के लिए दो हजार रूपए का बीज, बारह सौ रुपए की खाद, तीन हजार मजदूरी, सोलह सौ रुपए जुताई, बारह सौ रुपए की कीटनाशक दवा, सात हजार रूपए का पानी लागत सोलह हजार रूपए की आती है और अगर मंडी का भाव ठीक हुआ तो सत्तर हजार रूपए का माल निकलता है। वही कुछ किसान ऐसे भी है जिन्होंने बैंक के लोन लेकर अपनी फसल उगाई थी उनकी तो लागत भी नही निकली है तो वह किसान बैंक का कर्जा कैसे दे और कहाँ से दे?
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