अमरनाथ की सूझबूझ से कोरोना से बच गया पूरा परिवार

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रिपोर्ट: अंकित श्रीवास्तव
समाचार पत्रिका, ब्यूरो
• जिला महिला अस्पताल में हेल्प डेस्क मैनेजर हैं अमरनाथ जायसवाल
• टीकाकरण ड्यूटी के दौरान हुए थे कोरोना से पाजिटिव
अगर लक्षण दिखते ही समय से जांच करा ली जाए तो कोरोना से न सिर्फ वह खुद ठीक हो सकता है, बल्कि उसका पूरा परिवार इस बीमारी से बच सकता है । यह साबित कर दिखाया है जिला महिला अस्पताल के हेल्प डेस्क मैनेजर अमरनाथ जायसवाल ने । उनकी सूझबूझ से पूरा परिवार कोरोना की चपेट में आने से बच गया। अमरनाथ को जैसे ही लक्षण दिखे, उन्होंने तुरंत कोरोना की जांच करा ली और एंटीजन रिपोर्ट पॉजीटिव आते ही उपचार शुरू कर दिया । वह कोविड ड्यूटी के कारण घर में पहले से आइसोलेट रह रहे थे । उनके इस कोरोना समुचित व्यवहार से बड़े भाई की पत्नी, दो बच्चे, उनकी पत्नी और दो बच्चे कोरोना की जद में आने से बच गये। अब अमरनाथ स्वस्थ हो चुके हैं और एक बार फिर सेवा देने लगे हैं। अब भी वह परिवार से खुद को अलग रखते हैं ताकि परिवार सुरक्षित रहे।
अमरनाथ ने बताया कि 30 अप्रैल की सुबह उन्हें हल्का बुखार था। दोपहर तक यह बुखार तेज हो गया। उन्होंने बिना देर किये उसी दिन कोविड की जांच करवा ली। रिपोर्ट में कोविड की पुष्टि होते ही उच्चाधिकारियों को सूचित कर वह घर लौट गये और घर वालों को इस बात की जानकारी दी कि उन्हें कोविड है। कोविड ड्यूटी के कारण वह पहले से ही बच्चों और पत्नी से दूरी बना कर रह रहे थे, इसलिए वह आश्वस्त थे कि परिवार सुरक्षित है। सरकार द्वारा उपलब्ध कराई जाने वाली मेडिकल किट के साथ-साथ अमरनाथ ने अन्य सावधानियां बरतनी भी शुरू कर दी। टीके की दोनों डोज लेने के कारण भी उन्होंने काफी आत्मविश्वास के साथ बीमारी का सामना किया।
अमरनाथ कहते हैं कि जब कभी डर लगता था तो सिर्फ सकारात्मक सूचनाएं पढ़ते थे। घर वाले डर गये थे और उन्हें काफी समझाना पड़ता था। उनके भीतर भी आत्मविश्वास बनाए रखना पड़ा। चूंकि उन्हें सांस फूलने, ऑक्सीजन लेवल कम होने और अन्य कोई गंभीर लक्षण नहीं थे इसलिए मनोबल बना रहा। अमरनाथ ने अपनी दिनचर्या में परिवर्तन कर नियमित व्यायाम, योग प्राणायाम को शामिल किया, साथ ही पौष्टिक आहार लेना शुरू कर दिया। नियमित भाप लेना, शरीर का तापमान लेना और ऑक्सीजन लेवल मापते रहना रूटीन का हिस्सा बन गया।
• करते रहे लोगों की सेवा :
घर पर रहने के बावजूद अमरनाथ ने लोगों की मदद भी की। स्वास्थ्यकर्मी होने के कारण लोग उनसे मदद मांगते थे। इलाज के दौरान बेड दिलाने, ऑक्सीजन, दवा और वैक्सीनेशन कराने में काफी लोगों की टेलीफोनिक मदद की। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद वह पुनः मरीजो की सेवा में जुट गए हैं। उनका प्रयास रहता है कि अस्पताल साफ सुथरा हो ताकि संक्रमण न फैले। मरीजों की शिकायतों का निस्तारण कराते हैं। चिकित्सालय में वैक्सीनेशन के लिए आने वाले लाभार्थियों को कोई असुविधा न हो इसका भी विशेष ध्यान रखते हैं।
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