गोरखपुर: कोविड-19 से निजात के लिए डोर-टू-डोर सर्वे में व्हाट्सएप ग्रुप को बनाया जरिया, काम हुआ आसान

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अंकित श्रीवास्तव, गोरखपुर
समाचार पत्रिका, ब्यूरो
जिले का खोराबार ब्लॉक इन दिनों कोविड-19 के संक्रमण की रोकथाम के लिए वाट्सएप ग्रुप को हथियार बनाकर काम कर रहा है। डोर-टू-डोर सर्वे में ये ग्रुप काम को आसान कर दिए हैं। आठ संगिनी और 204 आशा कार्यकर्ता को इन्हीं सोशल मीडिया के बने कुल आठ ग्रुपों में जोड़कर काम लिया जा रहा है। जरूरी ऑडियो और वीडियो रिकार्डिंग का संदेश पर ग्रुपों पर भेज कार्य के प्रति सजग रहने और कोविड मरीजों की देख-रेख के निर्देश भी दिए जा रहे हैं।
सोशल मीडिया को हथियार बनाकर काम लेने की पहल है खोराबार ब्लॉक की एचईओ श्वेता पांडेय की। इन्होंने वाट्सएप के कुल आठ ग्रुप बनाकर ब्लॉक क्षेत्र की आठ संगिनी और आशा कार्यकर्ता को ग्रुपों में जोड़ा। इसके बाद कोविड मरीजों की देख-रेख व उनका इलाज कैसे हो सके सबको जिम्मेदारियां सौंपी। एचईओ श्वेता पांडेय ने बताया कि टैक्स्ट के साथ ही ग्रुपों पर ऑडियो व वीडियो मैसेजों को पोस्टकर बताया जा रहा है कि प्रत्येक घर में कोविड मरीजों को अलग मेडिकल किट, जबकि लक्षणयुक्त मरीज को अलग मेडिकल किट दी जानी है। उन्होंने बताया कि कोविड के कारण यह संभव नहीं है कि आशा कार्यकर्ताओं को हमेशा बुलाकर बैठक की जाए और संदेश दिये जाएं। सभी संदेश उन तक पहुंचे और सही दिशा में कार्य हो सके, इसीलिए आठ वाट्सएप ग्रुप बनाए गए हैं। ग्रुप में प्रत्येक आशा कार्यकर्ता को जोड़ा गया है। जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं हैं वह भी अपने परिवार के किसी न किसी सदस्य के माध्यम से ग्रुप से जुड़ी हुई हैं। ग्रुप का संचालन प्रभारी चिकित्सा अधिकारी डॉ. राजेश कुमार के दिशा-निर्देशन में किया जाता है। ग्रुप में न केवल अभियान से संबंधित ऑडियो बल्कि दिशा-निर्देश भी भेजे जा रहे हैं। जागरूकता से संबंधित अन्य ऑडियो-वीडियो संदेश भी साझा किये जा रहे हैं।
कैसे करना है काम? मैसेज में मिल रही जानकारी
वाट्सएप संदेश के जरिए आशा कार्यकर्ताओं को बताया गया है कि जिस भी घर जाएं उसके परिवार के मुखिया का नाम और सर्दी, खांसी, जुकाम, सांस फूलने जैसे लक्षणों वाले सदस्यों का नाम फार्मेट पर क्रम संख्या डालकर अवश्य दर्ज करें। यह भी लिखना है कि उनकी कोविड जांच हुई है या नहीं। टीकाकरण की स्थिति के बारे में भी जानकारी देनी है। फर्स्ट डोज या सेकेंड डोज की तिथि भी अंकित करनी है। अगर किसी परिवार में लक्षण वाले तीन व्यक्ति हैं तो तीनों को दवा देनी है। दो प्रकार के किट दिये गये हैं। लक्षणयुक्त को अलग किट जबकि बीमार व्यक्ति को अलग किट देना है। परिवार के मुखिया या किसी एक सदस्य का मोबाइल नंबर अवश्य रहे। अगर सभी सदस्यों का नंबर रहे तो और भी अच्छी बात है। यह अवश्य चेक कर लें कि मोबाइल नंबर चलने वाला हो, ताकि जब कभी भी फोन किया जाए तो पता कर सकें कि दवा मिली या नहीं। हर आशा अपने पूरे क्षेत्र के सभी लोगों की लिस्टिंग करके भेज दें और लिस्ट आपके पास भी होना चाहिए।
जिलेभर से साझा हुआ ऑडियो
ऑडियो का यह संदेश मुख्य चिकित्साधिकारी डॉ. सुधाकर पांडेय ने भी सराहा है। उन्होंने स्वयं इस ऑडियो को जिला स्तरीय वाट्सएप ग्रुप में साझा किया। सही दिशा में सर्वे अभियान चलाने में इस प्रकार के कम्युनिकेशन का अहम योगदान होता है। सभी आशा कार्यकर्ता सक्रियता से अभियान में जुटी हैं। लोगों को उनका सहयोग करना चाहिए।
लक्षणों को नहीं छिपाएं
अपर मुख्य चिकिसाधिकारी डॉ. नंद कुमार ने कहा कि आशा कार्यकर्ता ऐसे कठिन दौर में दिन-रात मेहनत कर रही हैं। लोगों को चाहिए कि जब कोई कार्यकर्ता उनके घर पहुंचें तो उन्हें सही जानकारी दें। मोबाइल नंबर अवश्य दे दें ताकि विजिट को वेरीफाई किया जा सके। प्रयास है कि हर बीमार तक दवा अवश्य पहुंचे। खोराबार का प्रयास सराहनीय है।
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