जरूरतमंद गैर मुस्लिमों को दी जा सकती है जकात, रमजान हेल्पलाइनों में सवाल आने का सिलसिला जारी

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नीरज तिवारी, लखनऊ
समाचार पत्रिका, ब्यूरो
राजधानी में शिया और सुन्नी धर्मगुरुओं की ओर से रोजेदारों की सहायता के लिये चलायी जा रही हेल्प लाइन सेवाओं में रोजेदारों के सवालों के आने का सिलसिला जारी रहा। इस्लामिक सेंटर आफ इंडिया की रमज़ान हेल्प लाइन के नम्बरों पर मौलाना खालिद रशीद फरंगी महली और उनके पैनल में चयनित उलेमाओं ने रोज़ेदारों के सवालों के जवाब दिये। सवाल किया गया कि क्या इंजक्शन लगवाने से जो खून निकलता है, इससे वुजू टूट जायेगा। जवाब मिला कि इंजक्शन से बहुत मामूली खून निकलता है इसलिए इससे वुजू नही टूटेगा, लेकिन अगर इंजक्शन का मकसद खून निकालना और खींचना हो तो उसकी वजह से वुजू टूट जायेगा। दूसरा सवाल था कि स्पंज वगैरा के गद्दों पर नमाज़ पढ़ना कैसा है। जवाब दिया गया कि स्पंज के गद्दे इतने नरम और मोटे हों कि नाक और पेशानी (माथा) का टिकाव न हो तो सही नहीं है। सवाल किया गया कि इंट्रस्ट (सूद) की रकम को बैंक से निकाल लेना चाहिए या उस रकम को बैंक में ही छोड़ देना चाहिए। जवाब मिला कि बैंकों से मिलने वाली सूदी रकम को बैंकों में न छोड़ा जाये बल्कि उसे निकाल कर बगैर सवाब की नियत से गरीबों, फक़ीरों और लोगों की भलाई के कामों में खर्च किया जाये। इसी क्रम में कार्यालय आयतुल्लाह अल उज़मा सैयद सादिक़ हुसैनी शीराज़ी से जारी हेल्प लाइन में आये सवालों के उत्तर मौलाना सैयद सैफ अब्बास नक़वी ने दिये और महिला रोजेदारों के जवाब खातून आलेमा ने दिये। मौलाना सैफ़ अब्बास के समक्ष एक सवाल किया गया कि क्या रोज़ा की हालत मे नामहरम के द्वारा अल्ट्रासाउंड कराया जा सकता है उत्तर मिला कि इसमे कोई हर्ज नही है रोज़ा सही है। अगला प्रश्न था कि अगर कोई व्यक्ति जानबूझकर रोज़ा तोड़ दे तो उसकी सजा क्या होगी। उत्तर दिया गया कि जो व्यक्ति बेगैर किसी वजह के रोज़ा तोड़े जानबूझकर उसको कफ्फारा देना होगा या साठ रोज़ा रखेगा या साठ गरीब मोमिन को खाना खिलाएगा या गुलाम आजाद करेगा। प्रश्न यही भी आया कि जुमा की नमाज़ के लिए शर्त क्या है। उत्तर है कि जुमा की नमाज़ के लिए शर्त यह है कि कम से कम पाॅच लोग हों और दो जुमो की नमाज़ो में पांच किलोमीटर का फासला हो। प्रश्न किया गया कि क्या जकात किसी जरूरतमंद गैर मुस्लिम को दी जा सकती है। उत्तर दिया गया कि जकात गैर मुस्लिम को दी जा सकती है जब वह इस्लाम की तरफ रागिब हो। प्रश्न किया गया कि अगर मुसाफिर एतेकाफ करना चाहे तो क्या हुक्म है। उत्तर दिया गया कि मुसाफिर एतेकाफ नही कर सकता है चूकिं एतेकाफ में रोज़ा रखना शर्त है।
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